6. अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना (स्वयं ही अपनी हानि करना)-पाकिस्तान
दुश्मनी करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है।
7. अपने मुँह मियाँ मिटू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-राकेश हमेशा आ
मियाँ मिट्ट बना करता है।
8.अरहर की टटिया गुजराती ताला (महत्वहीन वस्तु का कड़ा प्रबन्ध)-मोहन के
बंजर खेत के चारों ओर काँटेदार तार लगवाकर अरहर की टटिया गुजराती ताला उक्ति को
चरितार्थ कर दिया है।
9.अधजल गगरी छलकत जाय (छोटा व्यक्ति अधिक इतराता है)-बिना परिश्रम से
कुछ पैसा पाकर इतराने वाला व्यक्ति अधजल गगरी छलकत जाय वाली कहावत को चरितार्थ
करता है।
10. आँख का तारा होना (अत्यन्त प्रिय)-राम राजा दशरथ की आँखों के तारे थे।
11. आग बबूला होना (क्रोधित होना)-परीक्षा में फेल होने पर मोहन के पिता उस पर
आग बबूला हो उठे।
(2013)
12. आँख में धूल झोंकना (धोखा देना)-दूसरों की आँखों में धूल झोंकना अच्छी ।
बात नहीं है।
13. आम के आम गुठलियों के दाम (दोहरा लाभ होना)-बबूल की लकड़ी से खाना ।
बनाने पर खाना भी पक जाता है और कोयले भी बन जाते हैं, इस तरह आम के आम गुठलियों
के दाम मिलते हैं।
14. आड़े हाथों लेना (फटकारना)-मैंने शरारती छात्र को आड़े हाथों लिया, तब रास्ते ।
पर आया।
15. आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)-मित्र बनाने में सावधान रहना चाहिए, ज्यादातर ।
लोग आस्तीन के साँप सिद्ध होते हैं।
16. आटे-दाल का भाव मालूम होना (कठिनाई का वास्तविक ज्ञान)-पिता के पैसे
पर मौज कर रहे हो, स्वयं कमाना पड़ेगा तब आटे-दाल का भाव मालूम हो जायेगा।
17. आसमान सिर पर उठाना (कोहराम मचा देना)-कल से सर्कस देखने के लिए
पल्लव तथा अक्षय ने आसमान सिर पर उठा रखा है।
18. ईद का चाँद होना (बहुत दिन बाद दिखायी पड़ना)-शहर क्या छोड़ा तुम तो इस
के चाँद हो गये।
19. ऊँची दुकान फीका पकवान (दिखावटी काम)-राणा साहब के यहाँ तैयारिया
कई दिन से चल रही थीं, किन्तु दावत खाकर यही लगा कि यहाँ तो ऊँची दुकान फीका पकवान
20. ऊँट के मुँह में जीरा (आवश्यकता से बहुत कम)-पहलवान के भाजन
पूड़ियाँ रखना ऊँट के मुंह में जीरा देना है।
21. एक पंथ दो काज (एक साथ दो काम करना)-मन्दिर दर्शन करने जा
सामान खरीद लायेंगे, इस तरह एक पंथ दो काज हो जायेंगे।
दर्शन करने जायेंगे तब ही
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